उद्देश्य:- पुराने वस्तुओं के नामों से अवगत कराते हुए शब्द भंडार में वृद्धि एवं कल्पना शक्ति विकसित करना
बच्चों ने घर से सूची बना कर लाया विलुप्त होते जा रहे/हो चुके छत्तीसगढ़ी वस्तुओं के नाम
इस शनिवार शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला अचानकपुर, छुईखदान में 'हमर पुरखा के धरोहर' पर कार्यशाला हुआ। जिसमें प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला के बच्चों ने घर से अपने माता-पिता, दादा-दादी से छत्तीसगढ़ के ऐसे वस्तुओं की सूची तैयार किया, जिसकी उपयोगिता कम होती जा रही है। ऐसे वस्तुओं की बच्चों के द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा शिक्षकों के द्वारा उसके क्या उपयोग किये जाने पर बच्चों ने जवाब भी दिया। आज की इस गतिविधि में भीनु साहू प्रथम, हसीना द्वितीय एवं सानिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
बच्चों द्वारा लाए गए वस्तुओं के नाम निम्नांकित है-
वस्त्र या पहनने वाले या ओढ़ने वाले
धोती
कमरा
मोरा
कोष्टा पटका
खुमरी
मनकप्पड़
भंदिया/भंदई
एड़यही
पनही
पिछौरी
कथरी
आभूषण
सूतिया
रांगा
रुपिया
कड़ा पैजन
तोड़ा
नाग मोरी
ऐंठी
ककनी बनुरिया
लुरकी
अवरी दाना
चांदी पिन
रवाही फूली
लच्छा
छन्नी
व्यंजन/खान-पान
अंगरा रोटी, अंगाकर या गांकर
मेहरी पेज
घोटो पेज
छनहन पेज
मड़िया पेज
खपरा रोटी
बिजौरी
अमारी बुकनी
बर्तन/पात्र/कुछ रखने वाले
दउरी
चरिहा
हड़िया
कलौंजी
डाक
टोपली
झौहा
कसेली
कोठी
गघरा
परई
पर्री
चुकिया
लकड़ी का पेटी
कुंड़ेरा
सासर
हांडा
बरनी
पाउला
भंड़वा
कृषि उपकरण उपकरण
गाड़ा
नांगर
कोप्पर
कलारी- धान मिंजाई के समय धान कोड़ने के लिए
तुतारी- बैल हांकने के लिए लाठी में लगा कील
नाहर जोतार(नहाना)
असकुड़
सुमेला
पेरा डोरी
दतारी
चमेटा
घानी
टेड़ा
अरई
भरताही गाड़ी
मेड़वार
नांगर और गाड़ा जुड़ा
पोटिया
ढिर्र या ढर्र - दाई ओर के बैल को हांकने के लिए
तता तता - बाई ओर के बैल को हांकने के लिए
गेरवा
सांकड़ा
कुटेला
जोता
ओंगना तेल
टट्टा
चापड़ा
सूर
सुमा डोरी
घरेलू उपकरण
मूसर-बहाना
जाता
काठा
पैली
फोहई
ढेकी- अनाज निकालने के लिए
गोड़सी- आग तापने के लिए
सील-लोढ़ा
पैसुल
सरोता
संडउआ काड़ी
अरगेसनी
चकवा गुडरी
कोदई धोना
कोटना
कांवर/बहिंगा
वाहन
गाड़ा-बइला
बेलन
झाकड़ा गाड़ी
अनाज
कोदो
कुटकी
घर बनाने में लगने वाले
झिपारी
पलानी
मुड़का
छुही
खपरा
खईरपा
खदर-छानी
गोड़ा
पटनी
लोहाटी तारा
पोंडी तारा
अन्य
दउरी- फसल मिंजाई करना
चिमनी- प्रकाश के लिए
दरई-छरई
एड़याही
पेरा के पीढ़ा- बैठने के लिए
माची- बच्चों को सुलाने के लिए
घाघरा- बैल के गले मे बांधा जाता है
नोई
झपली
बरम काड़ी
छाकड़ा
चटुवा
भंड़वा खईलर
बेड़गा लउठी
मचली
राचड़
बरदखिया खटिया
रईचुली
इस अवसर पर मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक श्री पन्नालाल जंघेल, प्राथमिक स्कूल की प्रधान पाठक श्रीमती सुमित्रा कामड़े, वरिष्ठ शिक्षक श्री गल्लाराम रोड़गे, श्रीमती धर्मशीला जंघेल, श्री प्रमोद साहू, श्री चेतराम वर्मा, श्री भावेश्वर पटेल श्री नीरज साहू उपस्थित रहें।
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