इस शनिवार बैग लेस डे पर शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला अचानकपुर में स्थानीय कला-साहित्य, पुरातत्व और पर्यटन पर विचार गोष्ठी का अयोजन किया गया। इस अवसर पर छग के प्रसिद्ध लेखक, कवि और गीतकार डॉ. पीसी लाल यादव जी एवं श्री राजकुमार मसखरे जी अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। सर्वप्रथम कु. पेमिन एवं साथी ने डॉ. पीसी लाल यादव जी द्वारा रचित एवं स्व. धुरवाराम मरकाम और स्व. दुखिया बाई मरकाम द्वारा गया 'जतन करो भुइँया के संगी जतन करो रे' गीत प्रस्तुत किया। साहित्यकार श्री राजकुमार मसखरे जी ने डॉ. पीसी लाल यादव जी के जीवन का परिचय दिया। श्री मसखरे जी ने डॉ. पीसी लाल यादव जी के छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, कथाओं और हिन्दी बाल साहित्य के विभिन्न प्रकाशित पुस्तकों, रचनाओं, उनके पुरस्कार एवं सम्मान से अवगत कराया।
तत्पश्चात डॉ. पीसी लाल यादव जी ने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक में शामिल अपने बाल कविताओं के माध्यम से अपना व्यक्तव्य शुरू किया। अपने छत्तीसगढ़ी गीतों, कहानी कथाओं, अभिनय के माध्यम से स्थानीय कला और साहित्य को बहुत ही सुंदर और सरल तरीकों से बच्चों को अवगत कराया। साथ ही पुरातत्व और पर्यटन पर अपनी बात रखते हुए घटियारी, भँवरदाह, नर्मदा, चोरड़ाधाम, सुरही नदी, मढ़ीपखोल, बैताल रानी घाटी जैसे विभिन्न स्थलों से जुड़ी ढेर सारी जानकारी बच्चों को प्रदान की। वही बच्चों के तरफ से स्थानीय कला-साहित्य, पुरातत्व और पर्यटन से संबंधित प्रश्न पूछे गए, जिसका डॉ. पीसी लाल यादव जी स्थानीय समझ को बच्चों से जोड़ते हुए जवाब दिया। अंत में श्री राजकुमार मसखरे जी ने अपनी स्वरचित कविता 'मोर जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई' का सस्वर पाठ कर जिले का पूरा परिचय कराया।
इस अवसर पर मिडिल स्कूल प्रधान पाठक श्री पन्नालाल जंघेल, प्राथमिक स्कूल की प्रधान पाठक श्रीमती सुमित्रा कामड़े, वरिष्ठ शिक्षक श्री गल्लाराम रोड़गे, श्रीमती धर्मशीला जंघेल, श्री प्रमोद साहू, श्री उजय जंघेल, श्री चेतराम वर्मा एवं श्री भावेश्वर पटेल उपस्थित रहें।
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