Ticker

6/recent/ticker-posts

Notice Board

भंवरदाह: प्रकृति, इतिहास और आस्था का संगम


छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) ज़िले के गंडई अंचल में स्थित भंवरदाह एक ऐसा स्थल है जहाँ प्रकृति की अद्भुत सुंदरता, पुरातात्विक महत्व और आध्यात्मिक आस्था एक साथ समाहित हैं। घने वनों के मध्य स्थित यह स्थल अपने शांत वातावरण, सुरही नदी की कल-कल ध्वनि और धार्मिक महत्व के कारण एक विशेष पहचान रखता है।

इस मनोरम स्थल पर विराजमान मां भ्रामरी देवी। नदी के किनारे ऊंचे चट्टानों पर मधुमक्खियों (भांवर) के अनेक छत्तों की उपस्थिति के कारण इस स्थान को "भंवरदाह" नाम मिला है। मां भ्रामरी देवी गंडई जमींदारी की कुल देवी हैं।

भंवरदाह का इतिहास भी कम रोचक नहीं है। यहाँ अनेक प्राचीन, खंडित मूर्तियाँ हैं, जो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि कभी यहाँ कोई भव्य मंदिर रहा होगा। यह स्थल पुरातात्विक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

भंवरदाह में चैत्र माह के अंधियारी पाख तेरस को जँवारा बोया जाता है ज्योति कलश स्थापित किया जाता है। और ज्योत को पुरुष वर्ग ही अपने सर पर बोह कर विसर्जन के लिए नीचे नदी की तरफ बढ़ते है।  इस पावन अवसर पर दूर-दराज़ से श्रद्धालु माँ के दर्शन और आशीर्वाद लेने यहाँ पहुँचते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व — इन तीनों का संगम भंवरदाह में आज ज्योत-जँवरा विसर्जन पर मुझे मां भ्रामरी देवी का दर्शन का अवसर मिला।

Verma Sir Quest








































Post a Comment

0 Comments