प्रार्थना में देर से आने वाले विद्यार्थियों से सकारात्मक कार्य करवाना चाहिए। शाला में अक्सर यह देखा गया है कि कुछ विद्यार्थी आदतन देर से शाला आते हैं । वे ना तो प्रार्थना में उपस्थित हो पाते हैं और ना ही किसी अन्य निरीक्षण में उनकी उपस्थिति समय से हो पाती है । यह प्रवृत्ति उनके अपने विकास के लिए एक प्रकार से बाधा है । इस पर अंकुश लगाने के लिए कुछ सकारात्मक उपचार किए जा सकते हैं । प्रार्थना में देर से आने वाले छात्रों को समझाना कि किसी भी कार्य का जिस प्रकार श्री गणेश करते हैं । उसी प्रकार शिक्षा ग्रहण करने से पहले प्रार्थना का भी अपना महत्व है ।
सबसे पहले आदतन देर से आने वाले विद्यार्थियों की सूची तैयार कर और उनसे निम्न कार्य करवायें ।
प्रार्थना में देर से आने वाले छात्रों से आने का कारण जाने ।
देरी से आ रहे छात्रों के पालकों को सूचित करना ।
पालकों की एक मीटिंग करना ।
देरी से आये छात्रों को हिन्दी / अंग्रेजी के तीन शब्द याद करने को दें और प्रार्थना होने के बाद उसे बोलने को कहे
उन्हें खेद प्रकट करने को कहें ।
प्रार्थना में देर से आये छात्रों से एक कविता सुनाने को कहें ।
देर से आने वाले छात्रों को अलग से समूह में प्रार्थना करवाएं प्रार्थना में देर से आये छात्रों को किसी महान पुरुष की जीवनी के बारे में बताने कहे ।
ऐसे छोटे - छोटे सकारात्मक कार्य करवाएँ ।
प्रार्थना में देर से आने वाले छात्रों की आदत में सुधार होगा एवं मानसिक विकास होगा । बच्चा प्रार्थना के महत्व को हमेशा के लिए समझ जाएगा ।
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