शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने , एक न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मूलभूत आवश्यकता है । गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना वैश्विक मंच पर सामाजिक न्याय और समानता , वैज्ञानिक उन्नति , राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक शिक्षा व उचित माध्यम है , जिससे देश की समृद्धप्रतिभा और संसाधनों का सर्वोत्तम विकास और संवर्द्धन व्यक्ति , समाज , राष्ट्र और विश्व की भलाई के लिए किया जा सकता है । अगले दशक में भारत दुनिया का सबसे युवा देश होगा और इन युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसर उपलब्ध कराने पर ही भारत का भविष्य निर्भर करेगा । इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी . 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे । यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है । पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था , जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दी गई । नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं ।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु
स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान नई शिक्षा नीति में 5. 3. 3. 4 डिजाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है ।
0 Comments